भारत में UPI (Unified Payments Interface) ने डिजिटल पेमेंट का चेहरा पूरी तरह बदल दिया है। आज छोटे दुकानदार से लेकर बड़ी कंपनियां तक, हर जगह UPI का इस्तेमाल हो रहा है। सिर्फ 2025 में ही, भारत में हर महीने लगभग 2000 करोड़ ट्रांजेक्शन UPI के जरिए किए जा रहे हैं, जिनकी कुल वैल्यू करीब ₹25 लाख करोड़ है।
लेकिन हाल ही में RBI की Monetary Policy Committee (MPC) Meeting के बाद RBI Governor ने यह संकेत दिया है कि UPI हमेशा फ्री नहीं रह सकता। इस बयान ने लोगों के बीच सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आने वाले समय में UPI इस्तेमाल करने पर चार्ज देना पड़ेगा?
आइए जानते हैं पूरी जानकारी—
MPC Meeting 2025 का बड़ा अपडेट
- RBI ने Repo Rate को 5.5% पर स्थिर रखा।
- GDP Growth का अनुमान घटाकर 6.8% कर दिया गया।
- महंगाई (Inflation) को कंट्रोल करने पर जोर दिया गया।
- सबसे बड़ा मुद्दा रहा – UPI Payment सिस्टम को टिकाऊ कैसे बनाया जाए?
UPI को फ्री रखने में कितना खर्च आता है?
कई लोगों को लगता है कि UPI फ्री है, लेकिन असलियत में हर ट्रांजेक्शन पर खर्च आता है। सरकार अभी हर साल करीब ₹2000 करोड़ सब्सिडी देती है ताकि UPI फ्री रह सके।
लेकिन UPI सिस्टम को चलाने का असली खर्च करीब ₹12,000 करोड़ सालाना है। इसका मतलब है कि बचे हुए ₹10,000 करोड़ का बोझ बैंकों और NPCI पर पड़ता है।
UPI खर्च का Breakdown
खर्च/जानकारी | आंकड़े (2025) |
---|---|
हर महीने UPI ट्रांजेक्शन | 2000 करोड़+ |
ट्रांजेक्शन वैल्यू | ₹25 लाख करोड़ |
प्रति ट्रांजेक्शन खर्च | लगभग 50 पैसे |
सालाना कुल खर्च | ₹12,000 करोड़ |
सरकार की सब्सिडी | ₹2,000 करोड़ |
बैंक + NPCI पर बोझ | ₹10,000 करोड़ |
UPI का खर्च कौन उठाता है?
UPI के संचालन की लागत कई संस्थानों पर बंटती है।
खर्च उठाने वाला | प्रतिशत |
---|---|
UPI Apps (PhonePe, GPay आदि) | 25% |
Sending Bank | 20% |
Receiving Bank | 20% |
NPCI (UPI चलाने वाली संस्था) | 35% |
- UPI Apps को फायदा इसलिए है क्योंकि वे Loans, Insurance और Cross-Selling करके कमाई कर लेते हैं।
- बैंकों और NPCI के पास कोई सीधा फायदा नहीं है, जबकि खर्च उन्हें भी उठाना पड़ता है।
क्या UPI पर चार्ज लग सकता है?
बैंकों और NPCI ने सुझाव दिया है कि UPI को टिकाऊ बनाने के लिए MDR (Merchant Discount Rate) लागू किया जाए।
- उदाहरण: अगर आप किसी दुकान पर ₹1000 का UPI पेमेंट करते हैं, तो व्यापारी को ₹990 ही मिलेंगे और ₹10 MDR के रूप में कट जाएंगे।
- यही सिस्टम अभी Credit/Debit Card Payments पर लागू होता है।
अगर UPI Paid हो गया तो क्या होगा?
- छोटे व्यापारी और दुकानदार UPI पेमेंट लेना बंद कर सकते हैं।
- लोग फिर से Cash Payment की तरफ लौट सकते हैं।
- भारत की Digital Economy की Growth धीमी हो जाएगी।
- Black Money को रोकने की कोशिशों पर असर पड़ेगा।
- UPI का यूजर बेस (Users) कम हो सकता है।
भारत की Digital vs Cash Economy 2025
भुगतान का तरीका | प्रतिशत |
---|---|
Digital Payment | 40% |
Cash Payment | 60% |
अभी भी भारत में 60% भुगतान Cash से होता है। अगर UPI पर चार्ज लग गया तो यह अंतर और बढ़ सकता है।
सरकार के सामने चुनौती
- अगर UPI पर चार्ज लगाया जाता है तो लोग नाराज़ हो सकते हैं।
- अगर UPI को फ्री रखा जाता है तो बैंकों और NPCI पर ₹10,000 करोड़ सालाना का बोझ रहेगा।
- सरकार चाहे तो UPI पर Subsidy बढ़ा सकती है, लेकिन यह लंबे समय तक संभव नहीं होगा।
- एक और विकल्प है कि सरकार नए Revenue Model लाए ताकि सिस्टम खुद टिकाऊ बन सके।
निष्कर्ष
UPI ने भारत को दुनिया में Digital Payment का लीडर बना दिया है। लेकिन इसे हमेशा फ्री रखना सरकार और बैंकों के लिए बड़ी चुनौती है।
- अगर UPI Paid हुआ तो Cash Transaction बढ़ सकते हैं।
- अगर Subsidy जारी रही तो Digital India का सपना और तेजी से पूरा होगा।
- आने वाले महीनों में सरकार और RBI का अगला फैसला तय करेगा कि UPI का भविष्य कैसा होगा।
यानी अभी UPI फ्री है, लेकिन आगे चलकर इसके Paid होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
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